झुग्गी झोपडी में रहते है लोग
रोज मरकर भी दुःख सहते है लोग
पर जिन्हें छूना है आसमान ,,वो
कही पर रहकर भी पढ़ते है लोग .....
सरकार को अपनी वोट की पड़ी है ,,
नही पता कैसे जीवन जीते है लोग ..
दो वक़्त की रोटी नही जिन्हें नसीब
ऐसे लोगो के हाथों में मोबाईल थमा देंगे लोग .....
अब तो आदत सी हो गयी है सुनने की
जीवन से उलट सहायता देते है लोग
पेट की भूख से ज्यादा नही है कुछ उनके लिए
बेचकर इसे दो वक़्त की रोटी-खरीदेंगे फिर लोग
**कुंवरानी मधु सिंह**
पर जिन्हें छूना है आसमान ,,वो
ReplyDeleteकही पर रहकर भी पढ़ते है लोग .....
ऐसा सरकार सोचे या ना सोचे ,सोच ले वही लोग ..... !!