माँ बाप ने मिलकर किया था जिस "चिराग" को रोशन
आज उसी "चिराग" को अपना न कह सके ,
खुशियों से भरा था मन जब "चिराग" आया जिन्दगी में ,
नाजो से पाला ,बड़ा किया और "रोशनेचिराग" बना दिया,,
कितनी तकलीफे उठाई"चिराग" को"रोशनेचिराग" बनाने में,
वो "चिराग" क्या जाने बिना तेल बाती के जल नहीं सकता आशियाने मे,
वो इसी उम्मीद जिए जा रहे थे मुड़कर आएगा उनका "चिराग",
बदल देगा जिन्दगी उनकी बुढ़ापे का सहारा बनकर,,
उनेह क्या पता की उनका "चिराग" अब पूरी तरह बदल गया था,
गली मोहल्ले तो क्या वो माँ बाप को भी भूल गया था,
अब रोशने "चिराग" इतनी दूर निकल गया था,
चाहकर भी उसकी महफिल में कह नहीं सकते थे ये हमारा है "रोशनेचिराग" ,
जिस "चिराग" को माँ -बाप ने रोशन किया था इतने जतन से,
आज उसी "चिराग" ने "अँधेरा" कर दिया था उनके जीवन में ,,
**कुंवरानी मधु सिंह**
यह माँ-बाप की विडंबना है, कि हर चिराग कुंवर अमित सिंह जी जैसा नहीं होता...
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