*गुरुवर*
गुरु तेरी महिमां का वर्णन कब,कहाँ ,
कैसे करूँ मै,वर्णन तेरा लिखू
तो कैसे लिखू मै ....
छोटा पड़ रहा आज कागज का सब
टुकड़ा, कैसे आपके गुणों को
इस पर मुद्रण करूं मै ......
जीवन में दिया जो आपने मेरे उजाला
उस उजाले की किरण को आज कैसे
गुरु तेरी महिमां का वर्णन कब,कहाँ ,
कैसे करूँ मै,वर्णन तेरा लिखू
तो कैसे लिखू मै ....
छोटा पड़ रहा आज कागज का सब
टुकड़ा, कैसे आपके गुणों को
इस पर मुद्रण करूं मै ......
जीवन में दिया जो आपने मेरे उजाला
उस उजाले की किरण को आज कैसे
भूल जाऊ मै......
दिया तूने जो ज्ञान का खजाना मुझे
सभ्य मुझको बना दिया,इस संस्कृति
को अपनी कैसे भूल जाऊ मै .................
गुरुवर आपके लिए लिखू क्या
ये समझ ना पाऊं मै ....
..कुंवरानी मधु सिंह
दिया तूने जो ज्ञान का खजाना मुझे
सभ्य मुझको बना दिया,इस संस्कृति
को अपनी कैसे भूल जाऊ मै .................
गुरुवर आपके लिए लिखू क्या
ये समझ ना पाऊं मै ....
..कुंवरानी मधु सिंह
बहुत संवेदनशील कविता है.
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