रिश्ते बनाने में वक़्त बहुत लगता है
पर टूटने में शायद एक पल से भी कम
लिपटे रहते है ये एक दुसरे में ऐसे
कपास (रुई) से धागा निकलता है जैसे
ये सबसे कच्चे धागे है जिन्दगी के
टूटने में आवाज भी सुनाई नही देगी
इन्हें संभाल कर रखना बहुत जरूरी है
वरना रिश्तो में खनक भी नही होगी
आज स्वार्थ और चकाचौंध ने रिश्तो को
जिन्दगी में धूमिल और बेनाम कर दिया
निभाने की तो मानो बस रीत सी रह गयी
वरना रिश्तो ने दम कब का तोड़ दिया
तभी तो कहते है
रिश्ता बनाना जिन्दगी में उतना आसान है
जैसे मिटटी पर मिटटी से रिश्ता लिखना
जिन्दगी में रिश्ता निभाना उतना मुश्किल
जैसे पानी पर पानी से रिश्ता लिखना,,,
***कुंवरानी मधु सिंह***
भाई अमित जी और बहुरानी आपकी कविताएं बहुत अच्छी रहती है ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
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