माँ प्रेम है,प्यार है,वात्सल्य है माँ,
माँ प्रथम गोद,प्रथम गुरु,प्रथम सखा है माँ,,
माँ हँसी,फुहार है, शीतल छाँव है माँ,
माँ रूप है,स्वरुप है,व्यवहार है माँ,,
माँ चेतना है,चिंतन है,चिंता है माँ,
माँ प्राण है,प्रेरक है,प्रेरणा है माँ,,
माँ मन है,जीवन है,जीवन की तरंग है माँ,
माँ पूजा है,पाठ है,यज्ञ की ज्वाला है माँ,,
माँ देवी है, देवत्व को रचनी वाली है माँ,
माँ, जगदीश्वर को जनम देने वाली है माँ ,,
माँ देवकी, यशोदा,कौशल्या है माँ,
माँ,जो मापा न जा सके ,प्रेम का सागर है माँ,,
माँ उत्साह है,उत्सर्ग है,अनंत है माँ,
माँ, कर्म है,कर्म का फल भी है माँ,,
माँ, सत्य की धारक ,सत्य की चालक भी है माँ,
माँ,वेदों मे पुरानो में,उपनिषदों में लिखी अभिव्यक्ति है माँ,,
माँ ,भगवान् की अद्भुद शक्ति है माँ,
माँ,शक्ति का सचर करने वाली है माँ,,
माँ, संचार को संयमित करने वाली है माँ,
माँ,संयम और अनुसाशन सिखाने वाली है माँ,,
माँ,उगता सूरज है, सूरज की धुप है माँ,
माँ,दिन का उजाला, रौशनी का स्वरुप है माँ,,
माँ, रातों में गोद है, गोद में नींद है माँ,
प्यारी है माँ, प्यार है माँ,
अब क्या और कहूं,,मेरे लिए तो संसार है माँ,,,
***कुंवरानी मधु सिंह ******
माँ की ममता दर्शाती सुन्दर कविता...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
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