संसार में आई हूँ मै
एक नन्ही सी परी बनकर
खुशियों से भरी सौगात
लाई हूँ गुडिया बनकर
नादान हूँ नासमझ हूँ अभी
कलि से फूल भी बनूगी कभी
बस प्यार से मुझे रखना ऐसे
हीरे को छुपा के रखते है जैसे
प्रार्थना है मेरी बस यही आपसे
बिछुड़ न जाऊं मै पहले ही सबसे
ना नोचें मुझे कुत्ते,,चील कोवें
बन जाओ रक्षक मेरे इन सबसे
**कुंवरानी मधु सिंह**
सुन्दर कविता.
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