नियति है,जीवन में सुख-दुःख का बदलाव तो आता रहता है
पर हर किसी के सामने तकलीफों को बयां नही किया जाता
शनिवार के बाद ,,रविवार के बाद,जैसे सोमवार आता है
उसी प्रकार जीवन में हर दुःखके बादसुख लौटकर जरुर आता है
ये जग वाले पूछेंगे तुमसे तुम्हारा दुःख रो रो कर
तमाशा बना देंगे ये सरे बाजार उसका हंस-हंस कर
समझ कर ही इन दुनिया वालो के सामने कुछ बोलना
अपने छुपे हुए दुखों के राज न इनके सामने खोलना
पर हर किसी के सामने तकलीफों को बयां नही किया जाता
शनिवार के बाद ,,रविवार के बाद,जैसे सोमवार आता है
उसी प्रकार जीवन में हर दुःखके बादसुख लौटकर जरुर आता है
ये जग वाले पूछेंगे तुमसे तुम्हारा दुःख रो रो कर
तमाशा बना देंगे ये सरे बाजार उसका हंस-हंस कर
समझ कर ही इन दुनिया वालो के सामने कुछ बोलना
अपने छुपे हुए दुखों के राज न इनके सामने खोलना
ये दुनिया वाले बड़े बेरहम होकर हँसते है दुसरो पर
फर्क नहीं पड़ता इनको,किसी की जिन्दगी और मौत पर
तुम्हारे दुखो को नग्न कर आनंद का कारण बना देंगे
भावनाओ से खिलवाड़ कर जिन्दगी भर का दुःख देंगे
बचकर रहना इन फरेब से भरी दुनिया वालो से
न उगलना कोई राज भूलकर भी इन जगवालो से
जग है तमाशा,झूठी है आशा,मतलब का संसार है
हरिबिन तेरा कोई न साथी न हितैषी न कोई पालनहार है
***मधु अमित सिंह***
फर्क नहीं पड़ता इनको,किसी की जिन्दगी और मौत पर
तुम्हारे दुखो को नग्न कर आनंद का कारण बना देंगे
भावनाओ से खिलवाड़ कर जिन्दगी भर का दुःख देंगे
बचकर रहना इन फरेब से भरी दुनिया वालो से
न उगलना कोई राज भूलकर भी इन जगवालो से
जग है तमाशा,झूठी है आशा,मतलब का संसार है
हरिबिन तेरा कोई न साथी न हितैषी न कोई पालनहार है
***मधु अमित सिंह***
दुनिया में हर तरह के नमूने (लोग) हैं . बस जैसे तैसे सामंजस्य बैठाये रखें .
ReplyDeleteखुबसूरत रचना
शुक्रिया
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