Saturday, May 5, 2012

***जीवन विचार ***


सुंदर स्वच्छ हो तन
खरे सोने जैसा हो मन
शुद्ध हो हमारा आहार
अनुकरणीय हो व्यवहार

वाणी हो रसदार
सादगी हो आधार
बातों में हो मधुरता
चरित्र में पवित्रता

विचारों में हो शुद्धता
वचनों में हो परिपक्वता
मन में हो समर्पनता
कर्म में हो परिब्द्धता

ईर्ष्या राग द्वेष से दूर हो
आनंद प्रेम से परिपूर्ण हो
न किसी के प्रति वैर हो
चारों तरफ प्रेम ही प्रेम हो
**कुंवरानी मधु रानी **

6 comments:

  1. सुंदर स्वच्छ हो तन
    खरे सोने जैसा हो मन
    शुद्ध हो हमारा आहार
    अनुकरणीय हो व्यवहार
    बहुत ही अच्छी बात और सुंदर रचना है

    ReplyDelete