माँ की दुलारी बिटिया
बाबुल की प्यारी चिड़िया
उड़ रही थी नीले गगन में
जहां चाह आई मन में
बंध गई है आज उसकी
उड़ानों की सारी सीमा
एक अनजान प्राणी से
बंधकर है अब तो जीना
समाप्त आज इसकी सारी
आजादी हो रही है .
लोग कह रहे है,, खुश रहो
बेटा ,,शादी हो रही है '
कुंवरानी मधु सिंह
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बहुत बढ़िया रचना
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