Tuesday, May 31, 2016

ll जिंदगी का सफ़र ll
आज फिर वो अपना आखिरी मुकाम देख आया हुँ,
इस जिंदगी के सफ़र का क्या है अंजाम देख आया हुँ..!!
देख आया हुँ सब रिश्ते-नातों को पूर्ण-विराम होते हुये,
देख आया हुँ जीते जी ना पूछने वालों को भी बेसबब रोते हुये...!!
देखा मैंने कि कैसे जल्दी होती है ‪#‎जिस्म‬ घर से करने को विदा,
विलंब होने पर परेशान होते वो चेहरे जिन पर सारा जीवन कर दिया उसने फ़िदा..!!
देखा मैंने सबको उस निर्जीव की बस ‪#‎तारीफ़_ही_तारीफ़‬ करते हुए,
जिन्दा तरसता रहा जो तारीफ़ के दो मीठे बोल सुनने के लिए...!!
देख आया "अमित" उस सुंदर से जिस्म को धूं-धूं करके जलते हुये,
सजाया करते थे जिसे दिन-रात उसे कुछ मुठ्ठी भर राख बनते हुये...!!
© कुंवर अमित सिंह

Sunday, July 7, 2013

भारत निर्माण

वक्त नहीं लगाते वो पल में तिल का बनाते ताड़ !
कुछ भी बुलवा लो बस वोटों का हो जाए जुगाड़ !!

शर्म नहीं, आतंकवादी से भी अपना रिश्ता लेते है ये जोड़ !
खुद को सबसे सगा साबित करने की लग जाती है इनमे होड़ !!

किसी के सुख दुःख से इन्हें नहीं कुछ सरोकार !
लाशों पे भी राजनीति कर रहे विपक्ष और सरकार !!

देख के इनकी ये नीचता मेरा भारत खून के आंसू रो रहा है !
इतना सब कुछ देख और सह कर भी मेरा देश सो रहा है.....!!

उफ्फ्फ.......क्या यही भारत निर्माण हो रहा है.......!
क्या यही भारत निर्माण हो रहा है....................!!
© कुंवर अमित सिंह

Friday, January 25, 2013

क्या है हिंदुत्व...



हिंदुत्व की ये बात करे
क्या है हिंदुत्व पता नही
हिंदुत्व है समुद्र गहरा
भारतवासी इसमें समाये है

सभी जाति-गोत्र-धर्म-वर्ण
समूचा राष्ट्र हिंदुत्व है 
नदी-झरने-पहाड़-पर्वत
सब हिंदुत्व में समाहित है

हिंदुत्व है पवित्र वट-वृक्ष
सबके लिए समान है
शाखाओं को शाखाओं से
ये धूर्त-मक्कार उलझाते है

राष्ट्र की इन्हें चिंता नही
जनता की परवाह नही
जबान पर लगाम नही
बार-बार खिल्ली उडवाते है

वासुधैव-कुटुंब है हिंदुत्व
सबको इसमें मिलाना है
प्रेम-प्यार की भावना से
राष्ट्र को आगे बढाना है
कुंवरानी मधु सिंह

Wednesday, January 9, 2013

माँ भारती के सपूत



नही सुधरेगा ये पाकिस्तान
रगों में ना जाने कैसा खून है
तोड़ देता है सारे नियम कानून
सरहद् पार कैसा ये जनून है

सरकार कमजोर,निकम्मी सही 
नही कमजोर माँ भारती के सपूत 
दिखा देंगे ओकात इन्हें इनकी
कर देंगे जमीं से नेस्तानाबूद

हुए जो सैनिक शहीद हमारे .....
उनके लिए इन्साफ करना ही होगा ,,
उनकी आत्मा की शांति के लिए
सर चार का कलम करना ही होगा
कुंवरानी मधु सिंह

Wednesday, December 19, 2012

अस्मिता

सरेआम हुई लडकी की अस्मिता तार-तार
फिर से रो रहा है हर औरत का दिल जार-जार
क्या इस देश में हालात हो गए इतने खराब
नही किसी के पास,इस असुरक्षा का जवाब

पुरुष प्रधान समाज में कोई नही बोल सकता
कानून सजा दे कैसे कोई गवाही नही दे सकता
सारे नियम कानून सब इनकी पॉकेट में पड़े है
जब चाहे,जैसे चाहे लागू करवाने पे अड़े है

जीवन जीने के लिए मृत्यु से जूझ रही है
कैसे बचाया जाये इसको डाक्टरों की टीम लगी हुई है
अपने इस दुखद क्षण को चाह कर भी ना भुला पाएगी
डरेगी इतना कि किसी पुरुष पर विश्वाश न कर पाएगी

कुंवरानी मधु सिंह

Tuesday, November 20, 2012

**जुल्म के खिलाफ**



अपने देश में हम अमन चाहते है
लड़ाई है हमारी जुल्म के खिलाफ,
फैसला अगर जंग से है निकलता
फिर जंग चाहते है जुल्म के खिलाफ..........


कोरवो की सेना बन रही है चारो तरफ
आशीर्वाद है इन पर गुरु नेताओ का
फिर से तुम्हे वही वनवास होगा पांडव
यदि तुम इस बार भी ना जाग पाए जुल्म के खिलाफ

अब तो कर दो पांचजन्य शंख नाद
या अभी और दुर्दशा देखना बाकि है
कोई कृष्ण बनकर दो फिर से वही उपदेश
कोई बन अर्जुन गांडीव तो उठाओ जुल्म के खिलाफ

यू ही दोष लगता रहेगा युवा नेतृत्त्व पर
युवाओ के खून में नही है कोई कमी
अब तो कोई एक अभिमन्यु बनकर
चक्रव्यूह को तोड़ेगा फिर से जुल्म के खिलाफ..............
**कुंवरानी मधु सिंह***

Thursday, October 11, 2012

''संस्कृति की डब्बी''



माता कब की ''ममी'' बना दी,
पिता को बना डाला ''डेड''
छोड़ छाड़ के सादी रोटी,,
खुश रहते सब खाकर ''ब्रेड'' ..

भाई बन गए कब के ''ब्रो'' 
बहन हो चुकी अब ''सिस''
संस्कारों की तो पूछो ही मत,
जाने कहाँ हो रहे ''मिस'' 

ताई ,चाची, बुआ, मामी ,
सभी बन गई ''आंटी''
ताऊ,चाचा ,,फूफा ,,मामा ,
के गले में पड़ी ''अंकल'' की घंटी.

यार दोस्त भी अब तो बन बैठे हैं सारे ''ड्यूड''
माँ-बाप अगर टोकें , बालक बोलें होकर ''रयुड''
बच्चों को अब नहीं पसंद पुराना ''पैजामा''
वाट्ज- अप   बोलें भूल गए ''रामा-रामा''.

अंग्रेज तो चले गए यहाँ से कब के ,
छोड़ गए अपनी संस्कृति की ''डब्बी''
बस अब और सहा नहीं जाता ''अमित''
अच्छे भले पति को जब  बोलें ''हब्बी''.......
''कुंवर अमित सिंह''